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Satya ke sath mere pyrayog :Gandhi Atmakatha

 सिर्फ 10 मिनट में जानिए गांधी जी की पूरी जीवनी महात्मा गांधी सत्य अहिंसा के पुजारी थे। उनका ऐसा होना स्वभाविक भी है क्योंकि उनकी माता एक  धार्मिक महिला थी। वैसे देखा जाए तो एक बालक पर मां का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। क्लास में नकल नहीं करना। एक बार बचपन क्लास में जब उन्हें cattle लिखने के लिए कहा गया। उनसे स्पेलिंग गलत हो गया बाकी बच्चे एक-दूसरे का नकल करके सही कर लिए लेकिन टीचर के इशारे करने के बाद भी उन्होंने नहीं सही किया। वे बोले कि जब मुझे नहीं आता तो मैं नकल करके खुद को क्यों धोखे में रखूँ?टीचर को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ी। वैसे 7 से 12 वर्ष की अवस्था को झूंड का अवस्था माना जाता है जिसे गंदी अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि बच्चे धूल मिट्टी में दिनभर खेलते रहते हैं। इसमें शारीरिक विकास तो ना के बराबर होता है परंतु मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है। अब असल में यह तो वो वाली उम्र होती है  जैसी संगत वैसी नियत। मांसाहारी नहीं बनना  एक बार की बात है जब सात आठ साल के गांधी जी रहेंगे तभी सभी दोस्त आपस में बात कर रहे थे कि मोहन तुम मांस मछली क्यों नहीं खाते तो उन्होंन...

Essay on chandrayaan-3 in hindi

अंतरिक्ष में भारत का योगदान   भारत विश्व गुरु बन सकता है , योग पूरी दुनिया को स्वस्थ रख सकता है। मंगल पर भी तिरंगे की परछाई है , क्योंकि हमारे साइंटिस्ट करिश्माई है। सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अंतरिक्ष की रोमांचक परिकल्पनाए  करता रहा है। अंतरिक्ष कभी अध्यात्म का  विषय बना तो कभी कविताओं कहानियों का। पारलौकिकतावाद से प्रभावित होकर मानव ने  इसे स्वर्ग और नर्क से जोड़ा तो मानवतावाद से प्रभावित होकर पृथ्वी को केंद्र मे रखा और अंतरिक्ष को परिधि मान लिया। इंसानी जरूरते और जिज्ञासा ने इस प्रकार इतिहास रचा मानो जैसे- मैं ठहरा मंगल ग्रह  प्रिये, तुम उस पर जीवन पानी हो।  मैं वन लाइनर वाली क्वेश्चन हूं, तुम लंबी ढेर कहानी हो। प्रश्नों के ढेर में बंधे मानव ने अंतरिक्ष में खोजी उत्तर ढ़ूढता रहा कभी काल्पनिक कहानियों में उत्तर को समेटा तो कभी प्रायोगिक रूप में। प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए अनेक विद्वानों जैसे आर्यभट्ट,कॉपरनिकस,भास्कर, न्यूटन आदि ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में परिपक्व समझ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें गैलील...

स्वतंत्रता दिवस थीम पर रंगोली बनाना क्या वास्तव में गलत है?

हर त्यौहार की अपनी एक महत्वता होती है जिसके महत्व को थीम के आधार पर दर्शाया जाता है। होली, दीपावली आदि त्योहारों पर अपनी खुशी और भावनाओं को प्रस्तुत करने हेतु घरों, स्कूलों तथा विभिन्न संस्थानों में रंगोली बनाई जाती है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जमीन पर बनाये गये रंगोली को लेकर आए दिन विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। इन विवादों का उत्पन्न होना जायज भी है क्योंकि लोग तिरंगे को ही  हूबहू जमीन पर उतार देते हैं  जबकि यह झंडा हमारे देश की शान है जिसे कभी नही झूकने देना चाहिए। अपने देश के झंडे को जमीन पर बनाना गलत है क्योंकि जमीन पर बने रंगोली वाले झंडे पर गलती से किसी का पैर में पड़ सकता है या  कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते कूचलते, फाड़ते या नियम विरुद्ध ध्वजारोहण करते पाया जाता है तो उसे 3 साल की जेल या जुर्माना देने का दंड मिल सकता है। व्यक्ति को जेल और जुर्माना दोनों की सजा दी जा सकती है। तो क्या स्वतंत्रता दिवस के थीम पर रंगोली बनाना गलत है? इन बातों को जानने हेतु पहले हम एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं- क्या हमारे देश का झंडा ऐसा है? अगर आप इसे झंडा कहते है? तो ...

Mahua tree

विलुप्त होता महुआ का पेड़  देश का पर्यावरण बचाना है तो हर एक व्यक्ति को पौधरोपण करना होगा। इसके लिए सरकार द्वारा भी वन विभाग कर्मियों को अपने-अपने रेंज में जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इन्हीं में एक वृक्ष महुआ का भी होता है जिसके फल की पहचान ग्रामीण अंचलों में सूखे मेवे के रूप में की जाती है।बीते एक दशक से न तो वन विभाग कर्मियों ने इस पौधे का रोपण किया है और न ही ग्रामीण अंचल के किसानों ने। इसका नतीजा यह रहा कि दिनों दिन इन वृक्षों की संख्या कम होते चली जा रही है।विभाग के कर्मी महुआ का वृक्ष लगाना किसी अभिशाप से कम नही समझते। महुआ ऐसा वृक्ष है जो हर मायने में सबसे आगे है, वह चाहे उसकी लकड़ी हो या फल, फर्क सिर्फ इतना ही है कि महुआ का वृक्ष पांच से आठ साल के अंदर तैयार होता है, जिसकी आयु सीमा करीब चालीस से साठ साल के बीच होती है इन वर्षो के बीच महुआ का वृक्ष जहां होता है वहां के ग्रामीण सूखे मेवे के साथ-साथ हर प्रकार की बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। आज के लोग भले ही महुआ के बारे में कम ही जानते हैं। लेकिन, पुराने जमाने के लोग इसका इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करते थे। बहुत ...

Why are honey bees dancing

जानिए क्यों डांस करती हैं मधुमक्खियां? हाल के कुछ महीने पहले न्यूज़ में रहा कि अमेरिका ने मधुमक्खियों के लिए दुनिया के पहले टीके के उपयोग को मंजूरी दे दी है। यह अमेरिकी फुल ब्रूड रोग से होने वाली मौतों को रोकने के लिए बनाया गया था। जिससे करंट को आधार मानते हुए यूपीएससी ने क्वेश्चन पूछ लिया, मधुमक्खी के डांस के बारे में। तो क्या आपने कभी सोचा है कि मधुमक्खियां डांस क्यों करते हैं? तो आइए जानते हैं इस बारे में-  दरअसल यह डांस भोजन की खोज के सिलसिले में छत्ते के अंदर अन्य मधुमक्खियों को सूचना प्रदान करने हेतु की जाती है। वैगल डांस  मधुमक्खी पालन  और  एथोलॉजी में  मधुमक्खी  के एक विशेष फिगर-आठ नृत्य के लिए  इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है  ।  इस नृत्य को करके, सफल वनवासी अमृत  और  पराग  देने वाले फूलों के पैच , जल स्रोतों, या  कॉलोनी  के अन्य सदस्यों के साथ नए घोंसले-स्थल स्थानों की दिशा और दूरी के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं  । मधुमक्खी के डांस के प्रकार राउंड डांस 1 किलोमीटर से कम दूरी के लिए है। जबकि वैगल ...

World tuberculosis Day

  विश्व क्षय रोग दिवस: 24 मार्च प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस इसके विनाशकारी सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने तथा विश्व स्तर पर टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयास करने हेतु मनाया जाता है। भारत में हर साल टीबी के लाखों मरीज सामने आते हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है। समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।                     डॉट्स (DOTS) यानी 'डायरेक्टली ऑब्जर्व्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स' टीबी के इलाज का अभियान है। - इसमें टीबी की मुफ्त जांच से लेकर मुफ्त इलाज तक शामिल है। - इस अभियान में हेल्थ वर्कर मरीज को अपने सामने दवा देते हैं ताकि मरीज दवा लेना न भूले। - हेल्थ वर्कर मरीज और उसके परिवार की काउंसलिंग भी करते हैं। क्‍या है इस साल की थीम विश्‍व तपेदिक दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है। साल 2023 की थीम है- यस! वी कैन एंड टीबी! ( Yes! We can end TB!) इसका अर्थ है कि हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं। इस थी...

NCERT Civics class 6

 सभी को नमस्कार! मैं खुशबू आप लोगों के समक्ष एनसीईआरटी  कक्षा 6वीं की नागरिकशास्र प्रस्तुत कर रही हूँ। यह कक्षाए हिंदी माध्यम में है। इस बुक में 9 अध्याय है।    Chapter 2 :  Diversity and Discrimination Chapter  1:  Understanding Diversity Chapter 3 : What is Government Chapter 4 : Key Elements of a Democratic Government Chapter 5 : Panchayati raj Chapter 6 : Rural Administration Chapter 7 :  Urban Administration Chapter 8 :  Rural Livelihoods Chapter 9 :  Urban Livelihoods