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नीड़ का निर्माण फिर-फिर

  नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर! वह उठी आँधी कि नभ में छा गया सहसा अँधेरा, धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस भाँति घेरा,     रात-सा दिन हो गया, फिर रात आ‌ई और काली, लग रहा था अब न होगा इस निशा का फिर सवेरा,                                                    रात के उत्पात-भय से भीत जन-जन, भीत कण-कण किंतु प्राची से उषा की मोहिनी मुस्कान फिर-फिर! नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर! वह चले झोंके कि काँपे भीम कायावान भूधर, जड़ समेत उखड़-पुखड़कर गिर पड़े, टूटे विटप वर, हाय, तिनकों से विनिर्मित घोंसलो पर क्या न बीती, डगमगा‌ए जबकि कंकड़, ईंट, पत्थर के महल-घर; बोल आशा के विहंगम, किस जगह पर तू छिपा था, जो गगन पर चढ़ उठाता गर्व से निज तान फिर-फिर! नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर! क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों में उषा है मुसकराती, घोर गर्जनमय गगन के कंठ में खग पंक्ति गाती; एक चिड़िया चोंच में तिनका लि‌ए जो जा रही है, वह ...

Nagarjun ki Harijan Gatha

  कवि नागार्जुन   हिन्दी  और  मैथिली  के अप्रतिम लेखक और  कवि  जिनका जन्म  (30जून1911- 5 नवम्बर 1998) को हुआ था।  अनेक भाषाओं के ज्ञाता तथा प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार थे।  साहित्य अकादमी पुरस्कार  से सम्मानित भी थे।  नागार्जुन की कविताएं किसी भी मुद्दे की गहराई में कायम रखती है।  इनकी सभी कविताएं लोगों के दिलों को छूती है।  जिसमें से एक कविता है नागार्जुन की हरिजन गाथा। दलितों को आरक्षण क्यों मिलना चाहिए या पहले की तुलना में अब  परिस्थिति मे कितना सुधार हुआ है। एससी/एसटी को आरक्षण देने का मुख्य उद्देश्य न केवल आर्थिक था बल्कि सामाजिक भी था तो क्या वर्तमान  मे उनकी सामाजिक और आर्थिक दोनो परिस्थितियां मजबूत हो चुकी है? क्या आरक्षण देने की आवश्यकता है? इन परिस्थितियों को समझने के लिए हम पहले नागार्जुन की हरिजन गाथा को जानते है और उस पर तुलना करते हैं कि उन परिस्थितियों के समय में आज की परिस्थितियां कितना अनुकूल हो चुकी है? नागार्जुन की हरिजन गाथा  भाग 1 ऐसा तो कभी नहीं हुआ था ! महसूस करने लगीं...