सिर्फ 10 मिनट में जानिए गांधी जी की पूरी जीवनी महात्मा गांधी सत्य अहिंसा के पुजारी थे। उनका ऐसा होना स्वभाविक भी है क्योंकि उनकी माता एक धार्मिक महिला थी। वैसे देखा जाए तो एक बालक पर मां का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। क्लास में नकल नहीं करना। एक बार बचपन क्लास में जब उन्हें cattle लिखने के लिए कहा गया। उनसे स्पेलिंग गलत हो गया बाकी बच्चे एक-दूसरे का नकल करके सही कर लिए लेकिन टीचर के इशारे करने के बाद भी उन्होंने नहीं सही किया। वे बोले कि जब मुझे नहीं आता तो मैं नकल करके खुद को क्यों धोखे में रखूँ?टीचर को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ी। वैसे 7 से 12 वर्ष की अवस्था को झूंड का अवस्था माना जाता है जिसे गंदी अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि बच्चे धूल मिट्टी में दिनभर खेलते रहते हैं। इसमें शारीरिक विकास तो ना के बराबर होता है परंतु मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है। अब असल में यह तो वो वाली उम्र होती है जैसी संगत वैसी नियत। मांसाहारी नहीं बनना एक बार की बात है जब सात आठ साल के गांधी जी रहेंगे तभी सभी दोस्त आपस में बात कर रहे थे कि मोहन तुम मांस मछली क्यों नहीं खाते तो उन्होंन...
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