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Essay on Indian Agriculture

भारतीय कृषि   धरती रंगल आवे धानी रंग चुनरिया  इहे हउवे भारत मोरा देश हो। सोने का चिरैया इ देशवा कहाला  इहे हउवे भारत मोरा देश  यह गीत भारत के लहलहाते हरे-भरे खेत को दर्शाता है जो राष्ट्र की उन्नति से आगाह कराता है परंतु क्या वास्तव में भारत की कृषि संतोषजनक है? तो आइए जानते हैं इस बारे में- भारत गांवों में बसता है।  भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा कृषि है                                                - महात्मा गांधी              वर्तमान में भारत के 135 करोड़ जनसंख्या का 50% आबादी रोजगार मे प्रत्यक्ष रूप  से कृषि पर निर्भर है।भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगभग 16% है। देश की पूरी आबादी को निवाला देने वाली कृषि जो आज कई समस्याओं से घिरी हुई है।            एक किसान दिन-रात कमरतोड़ मेहनत करके किसी तरह अन्न उपजाता है परंतु उसकी स्थिति यह रहती है कि वह कर्ज में डूबा रह...

Essay on Woman Empowerment in Hindi

निबंध- महिला सशक्तिकरण अथवा नारी शक्ति को बल कैसे दें?                  नारी सशक्तिकरण से तात्पर्य 'महिलाएं अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने लगे' क्योंकि महिलाएं समाज के निर्माण का आधार होती है। पितृसत्तात्मक रूपी समाज उनके वंचन का जिम्मेदार है ऐसे में उन्हें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, राजनीतिक मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।                        सिंधु सभ्यता से समाज मातृसत्तात्मक था परंतु उसके बाद विदेशियों के आगमन के पश्चात भारतीय समाज कमजोर होने लगा। सत्ता पर पितृसत्ता /विदेशी शक्तियाँ हावी होने लगी। तत्पश्चात महिलाओं का स्तर समाज में गिरता गया।                   उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया जिससे रूढ़िवादी परंपराओं,और मान्यताओं में बांधने में आसानी हुई। पर्दा प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह जैसी अनेक कुरीतियों मे फंसती चली गयी। इसके अलावा राजघराने में जन्मी दहेज प्रथा एक सामाजिक मुद्दा बन गया है। अतः लड़की का जन्म होना बोझ सा होने लगा...

Essay on chandrayaan-3 in hindi

अंतरिक्ष में भारत का योगदान   भारत विश्व गुरु बन सकता है , योग पूरी दुनिया को स्वस्थ रख सकता है। मंगल पर भी तिरंगे की परछाई है , क्योंकि हमारे साइंटिस्ट करिश्माई है। सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अंतरिक्ष की रोमांचक परिकल्पनाए  करता रहा है। अंतरिक्ष कभी अध्यात्म का  विषय बना तो कभी कविताओं कहानियों का। पारलौकिकतावाद से प्रभावित होकर मानव ने  इसे स्वर्ग और नर्क से जोड़ा तो मानवतावाद से प्रभावित होकर पृथ्वी को केंद्र मे रखा और अंतरिक्ष को परिधि मान लिया। इंसानी जरूरते और जिज्ञासा ने इस प्रकार इतिहास रचा मानो जैसे- मैं ठहरा मंगल ग्रह  प्रिये, तुम उस पर जीवन पानी हो।  मैं वन लाइनर वाली क्वेश्चन हूं, तुम लंबी ढेर कहानी हो। प्रश्नों के ढेर में बंधे मानव ने अंतरिक्ष में खोजी उत्तर ढ़ूढता रहा कभी काल्पनिक कहानियों में उत्तर को समेटा तो कभी प्रायोगिक रूप में। प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए अनेक विद्वानों जैसे आर्यभट्ट,कॉपरनिकस,भास्कर, न्यूटन आदि ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में परिपक्व समझ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें गैलील...