हिस्टीरिया
भूत-प्रेत में विश्वास पीढ़ियों से भारत के लोगों के दिमाग में गहराई से जुड़ा हुआ है और यह आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक विकास के युग में अभी भी बना हुआ है। भारत में कई कथित तौर पर भूत से पीड़ित स्थान हैं, जैसे कि जीर्ण इमारतें, शाही मकान, किले, बंगले, घाट आदि। कई फ़िल्मों का निर्माण इसपर किया जा चुका हैं। मुहावरें के रूप में भी इनका प्रयोग होता हैं, जैसे: भूत सवार होना, भूत उतारना, भूत लगना, आदि।
भूत प्रेत के ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं एवं पुरुषों में देखा जाए तो ऐसे मामले महिलाओं में अधिक देखा जाता है। भूत-प्रेत के मामले अंधविश्वास में अहम रोल निभाते हैं। कई बार इस प्रकार के अंधविश्वास समाज में गंभीर समस्या उत्पन्न कर देते हैं जैसे-
1. एक महिला के अंदर भूत प्रवेश करता है और वह जोर-जोर से कभी चिल्लाती तो कभी हंसती और कभी-कभी गाली गलौज करती है। उसके उपचार के लिए तांत्रिक बुरी तरह से उसे मारते पीटते हैं जिससे कभी-कभी मौत हो जाती है।
2.एक पड़ोसी अपने दूसरे पड़ोसी से भूत प्रेत के चक्कर में लड़ाई कर लेते हैं। यहां तक कि मारपीट भी कर लेते हैं।
3.लोग प्रेत-आत्माओं से सुरक्षा पाने के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहा देते है।
अगर संसार में आत्माएं हैं तो जाहिर सी बात है कि भगवान भी होंगे लेकिन अगर भारत के इतिहास में देखा जाए तो प्राचीन ऋग्वैदिक काल में भगवान का कहीं कोई जिक्र नहीं है अगर मिलता भी है तो प्रकृति को ही वह अपना देवता मानते थे जैसे इंद्रदेव परंतु बाद के उत्तर वैदिक काल में जादू, टोना, अंधविश्वास, भूत-पिशाच एवं भगवान का वर्णन अथर्ववेद में मिलता है। अर्थात हम कर सकते हैं कि पहले आत्माएं नहीं थी बल्कि आत्माओं का विकास बाद में हुआ तब से लोग मानते आए हैं।फिर भी अनूठी पहेली कहीं ना कहीं अब तक सुलझ नहीं पाई है। इस पर अनेक सवाल उठते रहे है। अतः हम कह सकते है कि जिन सवालों के जवाब के 'तार्किक मत है वह विज्ञान है' लेकिन 'जिसका कोई तार्किक मत नहीं है, वह अंधविश्वास है।'
जैसे- कब्रिस्तान से गर्मियों के समय में प्रकाश निकलते हुए तेजी से ऊपर की तरफ जाता हुआ दिखाई देता है तो इसे लोग प्रेत आत्माएं समझते थे। बाद में वैज्ञानिकों ने कारण बताया कि कब्रिस्तान से जब फास्फोरस बाहर आता है तो ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके प्रकाश देता है जिससे वह जल उठता है और जमीन पर कम दबाव के कारण वह ऊपर की तरफ जाता हुआ दिखाई देता है। ऐसे काफी सारे रिसर्च बाकी है। जिस पर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे।
प्रेत आत्माओं का निवास ज्यादातर महिलाओं में ही क्यों?
इसके दो बड़े कारण हैं 1.निरक्षरता 2. मानसिक सोच।
1.निरक्षरता- ऐसी स्थितियां वहां उत्पन्न होती है जहां साक्षरता दर कम होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता दर कम होती है। इसलिए उनका सोच-विचार तार्किक ना होकर रूढ़िवादी(दूसरों के अनुसार) होता है जो कई बार अंधविश्वास को जन्म देती है।
2.मानसिक सोच- ज्यादातर पुरुष व्यवहारिक होते हैं जबकि महिलाएं भावुक होती हैं जिससे वे अपना ज्यादातर निर्णय भावना में हो कर लेते हैं और भावना में लिया गया निर्णय कई बार हानिकारक सिद्ध होता है। कई बार भावनाएं उन पर इतना ज्यादा हावी हो जाता है जो हिस्टीरिया जैसी बीमारी को जन्म देता है।
हिस्टीरिया
हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है। अवचेतन अंतर्द्वंद्र से चिंता उत्पन्न होती है और यह चिंता विभिन्न शारीरिक, शरीरक्रिया संबंधी एवं मनोवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। रोगलक्षण में बह्य लाक्षणिक अभिव्यक्ति पाई जाती है। तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है। उदाहरणार्थ, अपनी विकलांग सास की अनिश्चित काल की सेवा से तंग किसी महिला के दाहिने हाथ में पक्षाघात संभव है।
अधिक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्रों में हिस्टीरिया कम पाया जाता है। हिस्टीरिया भावात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील, प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के, पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है। दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अच्छे शिकार होते हैं। किसी दु:खद घटना अथवा तनाव के कारण दौरे पड़ सकते हैं।टोना टोटका से काफी लोग ठीक होते हुए भी पाए गए क्योंकि यह भावनात्मक रोग शारीरिक रूप में परिवर्तित हो गया है जो कि मानसिक रोग को धारण कर लिया है।
लक्षण
जिसमें चिंता , सांस की तकलीफ , बेहोशी , घबराहट, यौन इच्छा , अनिद्रा , द्रव प्रतिधारण , पेट में भारीपन, चिड़चिड़ापन , हानि शामिल है। भोजन या सेक्स के लिए भूख , (विडंबना) यौन रूप से आगे व्यवहार , और एक "दूसरों के लिए परेशानी पैदा करने की प्रवृत्ति"।
अन्य लक्षण
सुई अथवा चाकू से चुभाने की अनुभूति हो सकती है। शरीर में अस्पष्ट ऐंठन (हिस्टीरिकल फिट) या शरीर के किसी अंग में ऐंठन, थरथराहट, बोलने की शक्ति का नष्ट होना, निगलने तथा श्वास लेते समय दम घुटना, गले या आमशय में 'गोला' बनता, बहरापन, हँसने या चिल्लाने का दौरा आदि है। रोग के लक्षण एकाएक प्रकट या लुप्त हो सकते है पर कभी कभी लगातार सप्ताहों अथवा महीनों तक दौरे बने रह सकते हैं। कुछ मामलो मे अत्याधिक बोलना और गाली-गलौज करना भी इसी रोग का लक्षण है।
उपचार
- ऐसी समस्या होने पर तांत्रिक से इलाज करवाने के बजाय मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
- हिस्टीरिया का इलाज संवेदनशील व्यवहार, पारिवारिक समायोजन, शामक औषधियों का सेवन, सांत्वना, मनोरंजन, पूर्ण शिक्षा से किया जाता है।समय-समय पर लकवाग्रस्त अंगों के उपचार के लिए शामक और विद्युत उत्तेजना का भी उपयोग किया जाता है। यह बीमारी अक्सर दोबारा हो जाती है।
- महिलाओं के स्वास्थ्य में काफी गिरावट देखी जाती है, इसलिए उनके स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ उनके पोषण पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
- साक्षरता दर को यथासंभव बढ़ाया जाना चाहिए।
- योगा करना चाहिए।
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