विलुप्त होता महुआ का पेड़ देश का पर्यावरण बचाना है तो हर एक व्यक्ति को पौधरोपण करना होगा। इसके लिए सरकार द्वारा भी वन विभाग कर्मियों को अपने-अपने रेंज में जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इन्हीं में एक वृक्ष महुआ का भी होता है जिसके फल की पहचान ग्रामीण अंचलों में सूखे मेवे के रूप में की जाती है।बीते एक दशक से न तो वन विभाग कर्मियों ने इस पौधे का रोपण किया है और न ही ग्रामीण अंचल के किसानों ने। इसका नतीजा यह रहा कि दिनों दिन इन वृक्षों की संख्या कम होते चली जा रही है।विभाग के कर्मी महुआ का वृक्ष लगाना किसी अभिशाप से कम नही समझते। महुआ ऐसा वृक्ष है जो हर मायने में सबसे आगे है, वह चाहे उसकी लकड़ी हो या फल, फर्क सिर्फ इतना ही है कि महुआ का वृक्ष पांच से आठ साल के अंदर तैयार होता है, जिसकी आयु सीमा करीब चालीस से साठ साल के बीच होती है इन वर्षो के बीच महुआ का वृक्ष जहां होता है वहां के ग्रामीण सूखे मेवे के साथ-साथ हर प्रकार की बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। आज के लोग भले ही महुआ के बारे में कम ही जानते हैं। लेकिन, पुराने जमाने के लोग इसका इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करते थे। बहुत ...
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