भारत में साँपों की बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही विषैले (Poisonous) होते हैं। नीचे मुख्यतः पाए जाने वाले साँपों के प्रकार, उनकी पहचान और ज़हर की जानकारी दी गई है ताकि आप विषैले और गैर-विषैले साँपों में फर्क कर सकें।
🐍 साँपों के मुख्य प्रकार (भारत में)
1. कोबरा (Cobra) – विषैला
पहचान:
गर्दन पर फन फैलाता है।
फन के पीछे "ग्लास के आकार" का चिह्न होता है (❖ या ⚫ के जैसा)।
आँखें बड़ी और गोल।
ज़हर: न्यूरोटॉक्सिक (मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है)
लक्षण: साँस लेने में कठिनाई, धुंधला दिखना, पलकें झपकाना बंद होना।
2. क्रेट (Common Krait) – अत्यंत विषैला
पहचान:
चमकदार काला शरीर, पतला और लंबा।
सफेद पतली धारियाँ होती हैं।
रात में ज्यादा सक्रिय होता है।
ज़हर: न्यूरोटॉक्सिक
लक्षण: नींद जैसा एहसास, शरीर सुन्न होना, बोलने में कठिनाई।
3. रसेल वाइपर (Russell’s Viper) – अत्यंत विषैला
पहचान:
शरीर मोटा और भारी।
पूरी पीठ पर “O” जैसे गोल चिह्न।
फुफकारने की तेज़ आवाज करता है।
ज़हर: हेमोटॉक्सिक (खून पर असर डालता है)
लक्षण: खून बहना बंद नहीं होता, शरीर में सूजन, उल्टी, तेज दर्द।
4. सॉ स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled viper) – विषैला
पहचान:
छोटा लेकिन बहुत आक्रामक।
शरीर पर आड़ी-तिरछी धारियाँ।
घर्षण से आवाज करता है (रगड़ने पर “च्र-च्र” आवाज)।
ज़हर: हेमोटॉक्सिक
लक्षण: सूजन, रक्तस्राव, दर्द और चक्कर आना।
5. रेट स्नेक / धामिन – गैर विषैला
पहचान:
लंबा, पतला और भूरे रंग का होता है।
सिर छोटा, गर्दन अलग से नजर नहीं आती।
इंसान से दूर भागता है।
ज़हर: नहीं होता।
फायदा: खेतों में चूहे मारकर किसान की मदद करता है।
🧠 विषैले और गैर-विषैले साँपों की पहचान (सामान्य तरीके):
पहचान का तरीका
विषैला साँप
- सिर का आकार: त्रिकोणीय, गर्दन साफ दिखती है
- आँखों की पुतली: लंबवत (बिल्ली जैसी)
- शरीर का आकार: मोटा और भारी
- काटने का तरीका:एक या दो गहरे निशान (fangs)
गैर विषैला साँप
- सिर का आकार :सिर गोल या शरीर जैसा
- आँखों की पुतली: गोल (मानव जैसी)
- शरीर का आकार: पतला और लचीला
- काटने का तरीका:कई छोटे निशान
⚠️ सावधानी और सुझाव:
साँप दिखे तो शांत रहें, भगाने की कोशिश न करें।
साँप के काटने पर झाड़-फूँक की बजाय तुरन्त अस्पताल जाएँ।
साँप की पहचान हो तो डॉक्टर को बताना उपचार में मदद करता है।
विषैले साँपों का ज़हर जीवन के लिए खतरा बन सकता है, इसलिए समय पर उपचार अति आवश्यक है।
जहरीले सांपों की पहचान क्यों जरूरी है?
विषैले साँपों (Poisonous Snakes) की पहचान करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे:
✅ 1. सही इलाज समय पर मिल सकता है
हर साँप का ज़हर अलग प्रकार का होता है (जैसे न्यूरोटॉक्सिक, हेमोटॉक्सिक)।
डॉक्टर अगर जान पाए कि कौन सा साँप है, तो उसी अनुसार एंटीवेनम (जहर की दवा) दिया जा सकता है।
देरी या गलत पहचान जानलेवा हो सकती है।
✅ 2. अनावश्यक डर से बचा जा सकता है
भारत में 70% से ज्यादा साँप गैर-विषैले होते हैं।
अगर आप पहचानते हैं कि साँप विषैला नहीं है, तो डर और घबराहट कम होती है।
कई लोग गैर-विषैले साँप के काटने पर भी घबरा कर गलत इलाज करवाते हैं।
✅ 3. समय की बचत होती है
विषैले साँप के काटने पर शरीर पर जल्दी असर आता है।
अगर साँप की पहचान हो जाती है तो मरीज को तुरन्त ICU या ज़हर निरोधक इलाज मिल सकता है।
इससे जान बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
✅ 4. लोगों को जागरूक किया जा सकता है
अगर एक व्यक्ति विषैले साँपों को पहचानना सीख जाता है, तो वह दूसरों को भी सचेत कर सकता है।
गाँवों और खेतों में यह जानकारी बहुत काम आती है।
✅ 5. साँपों को अनावश्यक मारने से बचाया जा सकता है
अधिकतर साँप इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाते।
पहचान होने से गैर-विषैले और उपयोगी साँपों को मारा नहीं जाता।
🔴 निष्कर्ष (Conclusion):
- विषैले साँप की पहचान = जान बचाने का पहला कदम।
यह ज्ञान जितना अधिक लोगों को होगा, उतना ही साँपों के काटने से मौतों को रोका जा सकेगा।
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